दिल तक मेरे कलाम कहाँ जायेंगे सभी
हम तक तेरे सलाम सिफ़र आएंगे सभी
प्यासे रहे हैं मुद्दत से समंदर की ओट में
हाथों में आएं जाम फिसल जायेंगे सभी
अपनी भी आरजू महफिल में वाह वाही
दिल के कहाँ अरमा निकल पायेंगे सभी
हर रात जहन में कोई बर्क कड़कती है
खस्ता मेरे हाल कब संभल पायेंगे सभी
बात करने का सलीका आया नहीं हमें
कितने दफ़न राज ना समझ पायेंगे सभी
अब दास दूरियां क्यों बढ़ती हैं अंजुमन में
गहरा ये जंजाल क्या निकल पायेंगे सभी II


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







