ऐ जिंदगी माफ कर दे तू मुझे
मैं हर पल तुझको कोसता रहा
जब भी मौका दिया तूने मुझे
मैं तो सिर्फ तुझको सोचता रहा
कितने अरमान थे अपनो के मुझसे
मैं एक-एक करके उन्हें तोड़ता रहा
गुजरे वक्त में मैं काफी हँसता रहा
वह बात दूसरी है की तनहाई में जाकर
अक्सर अपने आंसुओं को मैं पोंछता रहा
ये कौन सा रास्ता था जिस पर मैं चलता रहा
मंजिलें आयीं फिर भी मैं उन्हें खोजता रहा
मुझे माफ कर दे ऐ मेरे खुदा
तू तो मेरे अंदर ही था
बिला वजह मैं तुझे बाहर ढूढ़ता रहा
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




