कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो सेक्स के बिना भी गहराई से टिके रहते हैं। कुछ जीवनसाथी ऐसे भी होते हैं जो शारीरिक संबंधों के अभाव के बावजूद एक-दूसरे के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित रहते हैं, क्योंकि उनके बीच सम्मान, समझ और जीवन के प्रति समान दृष्टिकोण होता है। वहीं, कई बार यह भी देखा गया है कि बहुत अच्छे शारीरिक संबंधों के बावजूद रिश्ते टूट जाते हैं, क्योंकि उनमें वह भावनात्मक परिपक्वता और आपसी समझ नहीं होती।
इसलिए, निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि सेक्स एक रिश्ता बनाने का माध्यम हो सकता है, लेकिन उसे बनाए रखने का आधार नहीं। यह रिश्ते को एक शुरुआत दे सकता है, लेकिन उसे जीवनभर की यात्रा में बदलने के लिए उसमें बहुत कुछ और चाहिए संवाद, समझ, संवेदना, साझेदारी और सबसे महत्वपूर्ण, एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता और सम्मान। जब तक यह सारे तत्व एक साथ मौजूद न हों, तब तक कोई भी रिश्ता केवल सेक्स के आधार पर नहीं टिक सकता।
यह बात पुरुष और महिला दोनों पर समान रूप से लागू होती है। दोनों को चाहिए 'उपदेश' शारीरिक संतुष्टि के साथ मानसिक सुकून, आत्मिक जुड़ाव के साथ भावनात्मक गहराई। और जब यह संतुलन बनता है, तभी कोई रिश्ता वास्तव में पूर्ण, संतोषजनक और स्थायी बन पाता है।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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