उनकी बेरूख़ी दिल के वास्ते, अफ़साना हुई जाती है..
अपनी मंज़िल अब बेवज़ह ही, मयखाना हुई जाती है..।
कुछ किरदार है कि, जो ज़िंदगी में सबक दिए जाते हैं..
मेरी मजबूरियां ज़माने की निगाह में बहाना हुई जाती है..।
वहां तो जाने किसने, दिल की बस्तियां बसाई हुई है..
अपनी तो ये दुनिया, वीराने में ठिकाना हुई जाती है..।
कहने को तो हजारों ढाले हैं, मेरे चारों तरफ़ मगर..
ज़िंदगी, उनके तीरे–नज़र का निशाना हुई जाती है..।
अब बहुत सम्भल कर रखते हैं, हम तो कदम अपने..
महफ़िल साकी के हाथों, आख़िरी पैमाना हुई जाती है..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




