ज़रा अदब से रहिए
ज़रा अदब से रहिए, जनाब !
एक माँ हूँ मैं
जो प्रकृति का एकमात्र आधार है ,
वो माँ हूँ मैं
जो घर को ख़ुशियों से भर दे ,
वो बेटी हूँ मैं
जो भाई के हाथ में रक्षा का धागा बाँधे ,
वो बहन हूँ मैं
जो लक्ष्मी बन तुम्हारे घर आए ,
वो बहु हूँ मैं
जो शक्ति भी है और भक्ति भी ,
वो नारी हूँ मैं
ज़रा मान दीजिए, जनाब!
तुम्हारे सम्मान की हकदार हूँ मैं
क्योंकि हर रूप मेरा एक “माँ”की ही परछाई है।
वन्दना सूद