इक नजर ही देख लेता तुम्हें जाने से पहले।
बुला लेते मुझें यूँ किसी भी बहाने से पहले।।1।।
हरआंख-आंख की पसंद हो जरूरी तो नहीं।
तुम्हे पूंछना था उससे रिश्ता लगाने से पहले।।2।।
तोहमत न लगा मुझ पे सिलसिला तोड़ने का।
तुम्हें सोचना था ये तो दिल दुखाने से पहले।।3।।
हैं हर नज़र में अब बस मेरा ही घर शहर में।
जो मकान था दिवार-ए-दर सजाने से पहले।।4।।
क्या तहरूफ़ कराना मुझसे उस मेहमाँ का।
उसको जानता हूं मैं बहुत जमाने से पहले।।5।।
सूकून-ए-रूह छिन जाता हैं इस इश्क में।
तुम्हें जान लेना था दिल लगाने से पहले।।6।।
हर सम्त अंधेरा है जाने रास्ता किस तरफ है।
पता रखना था चिरागे रोशनी बुझाने से पहले।।7।।
क्या हुआ जो तुम हो गए किसी गैर के अब।
इसका तो पता था मुझे तुम्हारे जाने से पहले।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




