जिंदगी की खूबसूरत राहों में
कुछ यादें बनतीं तो कुछ बिछड़ती
रहतीं हैं।
कुछ छोड़नी तो कुछ समेटनी
पड़ती हैं।
यादों की फलकों से देखो तो
कुछ जो छूट गईं वो छूटनी हीं
चाहिए थीं।
शायद वो वक्त की मांग थीं।
और जो थीं दिल के करीब वो
महफ़िल में काम आ हीं जाती हैं।
यादों की दास्तान बन हीं जाती हैं।
हैं ये यादें के आसमान असीमित
कब कौन कहां यहां बरस जाए
ये वस्ल की बात है।
है ये तवक्को दिल को
जो दिल में समाया
वो एक ना एक दिन काम आया।
वरना इन असीमित यादों को
कौन है पार पाया।
जो भी आया बहुत याद आया
जो छूट गया वो फिर ना रास आया
और जो दिल को रास आया
वह बहुत याद आया..
वह बहुत याद आया...