बिन पंखों से उड़ रही
बिन हवा से चल रही
मदहोशीमें बेहोशी भुली
ज़िंदगी हुं "मै" तेरे पास खड़ी
मन की रफ्तार से भी मैं लड़ी
सहमी हुई,कभी हारी हुई
पर तेरे लिए आबाद खड़ी
ज़िंदगी हुं "मै" तेरे पास खड़ी
देखा तुने मुझे,मैं लाचार हूं बनी
कोसता है तूं ,कहे फरेबी बड़ी
फिर भी हाथ थाम मौजूद खड़ी
ज़िंदगी हुं "मै" तेरे पास खड़ी
कभी झांक अंदर कितनी बैचेनी भरी
वक्त की गुलामीमें शामिल कहानी पड़ी
लूंट रहा लम्हां तूझे, उससे बचाने खड़ी
ज़िंदगी हुं "मै" तेरे पास खड़ी
सोचो ज़रा गौर से रुकावट अगर मिली
थम जाएंगी धड़कन की रफ्तार उसी घड़ी
फिर भी "सौदा" नहीं "वादा" निभाने मैं खड़ी
ज़िंदगी हुं "मै" तेरे पास खड़ी