ऐसा क्यों होता है कि
ख़ून के रिश्ते फीके
और दिल के रिश्ते गहरे होते हैं,
क्यों ख़ून के रिश्तों में वक़्त के साथ-साथ
प्यार में कमी आ जाती है?
और दिल के रिश्तों में प्यार बढ़ता जाता है।
बताइए ज़रा ऐसा क्यों होता है?
ऐसा क्यों होता है कि
ख़ून के रिश्ते एक वक़्त पर साथ छोड़ देते हैं
लेकिन दिल के रिश्ते मर मिटने को तैयार होते हैं,
क्यों ख़ून के रिश्ते ज़ुबां से बयां किया हाल भी
समझते नहीं?
और दिल के रिश्ते बिना कहे ही सब समझ जाते हैं।
बताइए ज़रा ऐसा क्यों होता है?
✍️✍️रीना कुमारी प्रजापत