यूँ ही नहीं ज़िन्दगी को चाहा हमनें
यूँ ही नहीं ज़िन्दगी को अपनाया हमनें
कुछ अपने थे
कुछ अनजाने थे
पर लगते सब दिल के सच्चे थे
उनके होने से ज़िन्दगी में बहार थी
उनके आने से ही ख़ुशियों की बौछार थी
लगता था अपनों के साथ बिना हम कुछ भी नहीं
वक़्त ने ऐसा झँझोड़ा
जगाया नींद से ऐसा
कि संसार सपना है और सपना ही रहेगा
ना कोई तेरा था ना ही कोई तेरा होगा
तेरे सिवा तेरा अपना कोई नहीं
ज़िन्दगी को प्यार कर अपने लिए
ज़िन्दगी की उड़ान भर सिर्फ़ अपने लिए
वक़्त की मार ने अपने लिए जीना सिखा दिया ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




