जलाकर शम्मा एक दूसरे से हमने जो वादा किया था
भूल गए तुम पर मुझे याद है क्या-क्या हमने इरादा किया था
उम्र भर हम मिलकर भी मिल न पाए यही मलाल है
रोए हम इतना ज़ार-ज़ार तुमने मुझे कितना ग़मज़ादा किया था
हमने तो ख़ुशबू ही ख़ुशबू बिखेरी थी तुम्हारी राहों में
और तुमने भी दिये थे फूल मुझे पर शूल कुछ ज्यादा दिया था