बड़ी हसीन शब है बिजलियां गिराएगी
जो बिछड़े यार हैं सबको बड़ा रुलाएगी
रूपहली चांदनी चादर बिछी है हर शू
बहुत ये आज समंदर में लहर उठाएगी
नशा है आज ये तारी बिन पिए हम पर
मिलेगा जाम तो कैसी कयामत आयेगी
रुके हैं तेरे शहर में इसी उम्मीद में दास
एक रोज कोई महवश बेनकाब आयेगी
बड़े खुशनसीब हैं रिंदे तेरी महफ़िल में
पियेंगे जाम खुद साकी उन्हें पिलाएगी।