उस पहली बरसात ने मिट्टी की सौंधी खुशबू से
मुझको महकाया है,
मेरे मन को इठलाया और तन को भिगाया है।
उस पहली बरसात ने मेरा चैन चुराया है,
पहले खुद मुस्कुराई फिर मुझे मुस्कुराना सिखाया है।
उस पहली बरसात ने राहत को महसूस कराया है,
मुझे छुआ और फिर गीत सुनाया है।
उस पहली बरसात ने मुझे प्यार सिखाया है,
पहले खुद ने ग़ज़ल गाई फिर मुझे गाना सिखाया है।
उस पहली बरसात ने मुझे जीना सिखाया है,
नाची ये बहुत और फिर मुझे भी नाच सिखाया है।
उस पहली बरसात ने प्रेम राग सुनाया है,
मुझे मुझसे मिलाया और लिखना सिखाया है।
----(रीना कुमारी प्रजापत)