तन्हाई से एक सवाल किया,
“क्यों तुमने मुझे मलाल किया?”
हर रूह को जब पुकारा था,
तब दिल ने ही बेमिसाल किया।
ज़ख़्मों से बनी थी ये हस्ती,
फिर किसने मुझे निहाल किया?
मैंने ही खुद को खोया था,
सबने मुझे बेहाल किया।
इस प्यार की क्या तर्ज़ थी आख़िर?
जिसने भी दिया, कमाल किया।
हम भी कभी चुप थे दुनिया में,
जब दर्द ने बात-बात ख़याल किया।
क्या कहिए उस रात की बातों को,
जिसने हमें बेहिसाब साल किया।