अपने जो आलोचना पे उतर आते है।
जैसे कोई भक्त पाला बदल जाता है।
दर्द ये दुनिया मे पर्वतराज से बड़ा है।
पिघला सीसा कानों में उतर जाता है।
विष ये कानों से दिल मे न उतर जाए।
आलोचना का दर्द पीना न पड़ जाए।
अपनों से आलोचना सुनाई नही पड़े।
दुआ करते ये विष पीना न पड़ जाए।
दिल मे शूल सा वो गहरे में जा अटके।
भक्तों के जयकारे के बीच कोई बोले।
छप्पन इंच सीने में तीन सौ ग्राम दिल।
तडप उठता है दिल कायर कोई बोले।
आओ एक मैच फिक्सिंग करा डाले।
एंपायर अपना तो सवाल जमा डाले।
खिलाड़ी दर्शक अपने मैदान अपना।
बेट बॉल छक्का वाह वाह जग बोले।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




