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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अगर पहचान लेते तुम

कापीराइट गजल

होते हैं क्या रिश्ते अगर यह जान लेते तुम
क्या मोल है इनका अगर पहचान लेते तुम

रिश्तों में जान हो तो ये लगता है प्यारा घर
कीमत यह घर की अगर पहचान लेते तुम

अगर मधुर हों रिश्ते, तो रौशन है यह जहां
रिश्तों की यह मधुरता अगर जान लेते तुम

ये रिश्तों की जमा पूंजी क्यूं शुन्य हो गई
बलैंस इन रिश्तों का अगर जान लेते तुम

अब बात करते वक्त तुम, रहते हो जुदा-जुदा
ये मुस्कान की चादर लबों पर तान लेते तुम

रिश्तों में है जन्नत तेरी, किसी और में नहीं
इन रिश्तों में क्या असर है, ये जान लेते तुम
यूं बनके हिटलर घूमते हो, अक्सर यहां-वहां
काश खुद को भी कभी पहचान लेते तुम
हो तुम खफा हम से, ये भी जानते हैं हम
अच्छा, होता यादव, राम का नाम लेते तुम

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Muskan Kaushik said

Rishton ka sara sar ghazal me samahit h

Lekhram Yadav replied

आदरणीय मुस्कान मलिक जी आपको गजल पसन्द आई मुझे सुकून मिल गया। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Vineet Garg said

अद्भुत रचना

Lekhram Yadav replied

Welcome and thanks Vineet Garg ji.

ताज मोहम्मद said

अतुलनीय ग़ज़ल। कलम की जादूगरी।

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद ताज भाई आजकल रिश्ते भी तकनीक की तरह हाई फाई होते जा रहे है।इसलिए ये गजल लिखनी पङी।

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत बढ़िया

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित स्वागत है मेरी प्यारी बहना।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

👏👏👏👏👏

Lekhram Yadav replied

सर जी आखिर आपने पहचान ही लिया मेरी गजल को आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

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