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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

उम्र भर सुलगते शरारों को

इस जहांँ से जो चले जाते हैं उन्हें कोई लाए भी तो कैसे?
दिखते नहीं कहीं निशांँ कहांँ तक कोई जाए भी तो कैसे?

दे कर सीने में उल्फ़त शोलों का ख़ुद बन जाते हैं धुआँ
उम्र भर सुलगते शरारों को कोई बुझाए भी तो कैसे?

जो बातें जमीं बर्फ़ हो गई जीवन भर के लिए
कुछ देर के लिए हीं सही कोई पिघलाए भी तो कैसे?




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (11)

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Shiv Charan Dass said

जो बातें जमीं बर्फ हो गई नया अंदाजे bayan

Lekhram Yadav said

रिश्तों की गर्मी से बर्फ सी जमीं बातों को पिघलाइये, बहुत खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार शिव चरण जी 🙏🙏

श्रेयसी said

जी लेखराम भैया आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

Supriya sahu said

“देकर सीने में उल्फ़त शोलों का ख़ुद बन जाते हैं धुआँ ” बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत खूब 👌🙏

वन्दना सूद said

वाह वाह बहुत खूब 👌👌👏👏🙌🏻

श्रेयसी said

शुक्रिया सुप्रिया जी 🙏🙏

श्रेयसी said

शुक्रिया रीना जी। कहाँ गायब हो जाती हैं

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार वंदना जी 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह खूबसूरत रचना, श्रेयसी जी, बढ़िया, शुभरात्रि!

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