गिर पड़े गिरी का है,
खांसते-खांसते है बुरा हाल।
छुट्टी लेने पर हो गया मजबूर,
दिखाकर सरकारी कार्ड।
सुना है जब से,
उसने रिश्वतखोर पकड़े जा रहे हैं।
अपनी गर्दन को बचाने के लिए,
शहर और दरवाजे बदले जा रहे हैं।
समझता है जो अपने आप को सर्वेश्वर,
अभी ,
याद आ रहे हैं उसे ईश्वर।
चिल्ला चिल्लाकर जोड़ रहा है संसार।
नहीं लेता हूं,
मैं रिश्वत अपरंपार।
मेज पर,
एक गिलास पानी मंगाया गया।
पानी नहीं ,
उसको गंगाजल बताया गया।
कसमें ,
सच और झूठ की खाई गई।
हर कुर्सी पर बैठे,
अफसर को बुलाया गया।
खा कसम,
उसे कहलवाया गया।
लेता हूं मैं,
रिश्वत यह प्रचार किससे करवाया गया।
अब तो खबर अखबार में आई,
खाता है रिश्वत लाखों की भाई।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




