तीसरी कलास के बच्चे समीर की
गाँव के टीचर चाचा से दोस्ती हो गई
चाचा समीर को बहुत प्यार करते थे
समीर भी चाचा से हिल मिल गया था
चाचा समीर को गोद में उठा लेते
कभी कभी उसे मिठाई चॉकलेट देते
समीर स्मार्ट होनहार बच्चा था
थोड़ा नटखट व शरारती भी था
कलास में सदा प्रथम आता
समीर चाचा से लिपट जाता
धीरे धीरे समय बीतने लगा
समीर थोड़ा बड़ा होने लगा
समीर पाँचवी कलास में हो गया
एक शाम चाचा कहीं जा रहे थे
समीर ने अचानक गमछा खींच लिया
चाचा पूरे जोर से चीख पड़े
गालियों की बौछार लगा दी
अपने साथ वालों के साथ मजाक करते हैं
ये समझता क्या है अपने आप को
हल्ला सुन गाँव के कुछ लोग इकट्ठे होने लगे
समीर अचानक व्यवहार परिवर्तन से भौचक्का
एक कोने में सहमा डर से कॉँपने लगा
चाचा कई बार चॉकलेट लेकर मिलता
समीर हाथ जोड़ नमस्ते सर कह आगे बढ़ जाता
प्रदीप कुमार