मान मर्यादाएं संस्कार ,
जीने का चयनित रंग ढंग,
संगति की नाज़ुक डोर ,
जीवन होत कटी पतंग,
कुसंगत का फ़ीका फल,
क्षणिक करे मस्त-मलंग !
.....
जैसी संगत वैसी रंगत ,
मधुर एहसास कटु जंग,
सुसंस्कृत संगत-परिवेश,
खुशहाल जीवन के संग,
बरकरार रहे मान मर्यादा,
लाए जीवन में नई उमंग !!
✒️ राजेश कुमार कौशल