चल जिंदगी तू ले चल वहाँ संग अपने भी हमें।
सुकूं के पल दो पल जीनें में जहाँ हमको मिले।।
हो ऊँचे पर्वतों पे दूर कहीं अपना भी आशियाँ।
चमकती बूंदे शबनम हो जहाँ आसमां के तले।।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ ...
गम को पता न मिलें उस शहर का कभी भी।
मोहब्बतों से सबके ही दिल हो जहाँ पर भरे।।
हो ख़ुलूशों मोहब्बत से भरी अपनी ये जिन्दगी।
उम्र-ए-इश्क़ में दीवानगी हर शू जहाँ पर बढ़े।।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ ...
चल कर दिखा कुछ ख्वाब नजरोँ को मेरे भी।
हकीकत बनके जो हासिल हो जिंदगी में मुझे।।
वो तो शुक्र है खुदा का जो माँ सबको ही दी।
अब न है हमको अपने खुदा से शिक़वे गिले।।
चल जिंदगी तू ले चल वहाँ संग अपने भी मुझे।
सुकूं के पल दो पल हमेशा जहाँ हमे भी मिले।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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