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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पीपल का पेड़ - अंक 1

अभी यादव महोदय जी द्वारा लगाए गए गब्बर सिंह जी के जासूसों एवं हरिया जी से बमुश्किल पीछा छूटा ही था, और मैं चैन की साँस लेकर पानी पीने के बारे में सोच रहा था, तभी याद आया कि मुझे आज 'पीपल का पेड़' रोपना था, यदि नहीं रोपा तो आज और बाकी के गुजरे दिनों की दिनचर्या में क्या अंतर रह जायेगा, फिर वंदना जी को जबाब भी देना है चूँकि वो भी जबाब के लिए प्रतीक्षारत हैं,

यदि जबाब नहीं दिया या उनको कहीं से मालूमात हुआ की 'पीपल का पेड़' का वृक्षारोपण नहीं हुआ है तो कहीं वह भी गब्बर सिंह, हरिया या उनके अन्य मित्र शाकाल,डाँग इत्यादि को मेरे पीछे न लगा दें, मैंने पानी पीने के विचार का परित्याग कर 'पीपल का पेड़' लगाने के बारे में सोचना शुरू किया, और माता जी के पास गया उनको अवगत कराने, कि थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हूँ मुझे आज 'पीपल का पेड़' लगाना है, बस फिर क्या माता जी ने कहा अशोक का पेड़ लगा ले, नीम का पेड़ लगा ले यहाँ तक कि गमले में फूल पत्तियों वाले पौधे लगा ले, पीपल का पेड़ घर के पास रोपना अच्छा नहीं होता 'पीपल का पेड़' नहीं लगाने दूंगी।

मैं कारण जानने के लिए उत्सुक था, ऐसा क्यों? माताजी का जबाब भी आया और उस जबाब ने मुझे कई तरह से हैरान कर दिया, पीपल के पेड़ को घर पर या घर के आसपास नहीं लगाना चाहिए क्युकी यह उचित नहीं होता, यह घर से दूर ही ठीक रहते हैं, इन पर दायी देवताओं का निवास होता है, यदि किसी के यहाँ आसपड़ोस में भगवान न करे कोई आपत्ति विप्पति कड़ी हुयी तो सारा दोष तुझ पर और तेरे पीपल के पेड़ पर आजावेगा, इसलिए मेरा कहना मान पीपल का पेड़ मत लगा वैसे भी पीपल के पेड़ अपने आप उगते एवं फलते फूलते हैं हमने तो अपनी जिंदगी में किसी को पीपल का पेड़ लगते हुए नहीं देखा है।

बहुत बुरी दुविधा में फसा, पिछली बार जब घर के सामने पपीते का पेड़ रोपा था तो पड़ोसियों को रास नहीं आया, जब डेंगू हुआ कुछ पड़ोसियों को तो भाग भाग कर उस वृक्ष के पत्तों को तोड़ने आजाते, दिन प्रतिदिन उसके पत्ते गायब होते रहते, अंत में जब सब ठीक हुआ तो वही वृक्ष हमारे पड़ोस के घर वालों को सिर्फ इसलिए खटकने लगा कि उसके दो पत्ते उनके घर की सीढ़ियों की साइड में जा रहे थे और उनका मानना था की वह दो कोमल पत्ते उनको मोटर साइकिल ऊपर करने में आड़े आते हैं,

परिणाम स्वरुप उन्होंने उसके पत्ते तोड़कर घर के सामने फेंकना शुरू कर दिया, उसी दौरान मैं भी कोविड रोग के प्रभाव से उभर रहा था, मेने उनसे विनती की कि यदि पत्ते आड़े आरहे हैं और आप उनको तोडना उचित समझ रही हैं तो कृपा करके तोड़ने के बाद उन्हें फेंकने की जगह मुझे सौंप दें मैं उनका उपयोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उनका सेवन करके कर लूंगा, लेकिन पता नहीं उनको क्या भूत सवार हुआ दो दिन बाद सारे पत्ते गायब, क्युकी मेरी तबियत इतनी भी बेहतर नहीं थी कि ज्यादा चल फिर पाऊ जिसके कारण दो दिन बाहर नहीं जा पाया और जब अंततः बहार गया तो पेड़ एकदम निर्वस्त्र अवस्था में था जिस पर ३-४ छोटे छोटे पपीते के फल लगे हुए थे,

अगले दो तीन दिन बाद जब बाहर आया तो वह फल भी नहीं थे, अब यह कहना तो जायज़ नहीं होगा कि फल उन्होंने गिराए थे या खुद गिर गए क्युकी इसका कोई प्रमाण नहीं है उधर गिलोय की लता घर की दीवार पर होकर उनकी छत तक जा पहुंची, पहले पहल तो उन्होंने उसको निमंत्रण दिया और एक रस्सी के सहारे छत पर पलने दिया बाद में एकाएक क्या हुआ पूरी लता उखड दी यह कहकर की इसके सहारे साप कीड़े छत तक आ सकते हैं, और वह पपीते का पेड़ भी अब नहीं रहा क्युकी उसकी पनपने की शक्ति को बार बार उखड फेंकने से उसका अस्तित्व खत्म होगया।

यह सब सोचकर माताजी का कहा गया शब्द की पडोसी जीने नहीं देंगे के चलते 'पीपल का पेड़' लगाने का विचार त्याग दिया, और अंत में इसी वार्तालाप में जब संध्या होगयी तो माताजी ने कहा अब जो भी लगाना है कल लगाना कहकर मुझे चवन्नी के चार आने वाला चूरन देकर वापस अपने कमरे में भेज दिया, निष्कर्ष यह निकला कि में आज भी पेड़ नहीं लगा पाया हूँ, वंदना जी से क्षमा प्रार्थी हूँ, कल प्रातः पहर में ही अशोक का वृक्ष रोपने का निर्णय लिया है जिसको अवश्य ही रोपूँगा और अबकी बार पड़ोसियों की तरफ न रोपकर अपने दरवाजे के पास रोपूँगा जिससे उनकी मोटर साइकिल आसानी से चढ़ पाए और वृक्ष की टहनियों से हाथ लगाने का मौका न मिले।

अब 'पीपल का पेड़' कहाँ लगाऊं यह सोचकर परेशां हूँ - पीपल का पेड़ कितनी शीतल हवा देता है कितने ही पंक्षियों का बसेरा होता है, ऐसा सुना भी है की सर्वाधिक ऑक्सीजन पीपल का पेड़ ही उत्सर्जित करता है, हालाँकि मेने अभी इसके बारे में जाँच पड़ताल नहीं की है, वह भी करूँगा, और उसके साथ साथ उसका रोपण भी,

आशा करता हूँ कि अभी कोई जासूस मेरे पीछे न लगे हों सुबह तक एक पेड़ रूप कर इन जासूसों के चंगुल से बचना है 'पीपल का पेड़' फिर भी बाकी है।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

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Lekhram Yadav said

बङा ही अद्भुत और विचित्र विचार को आपने पल्लवित और पोषित किया है आपने सर। मैं आपको इस साहसिक प्रयास के लिए बधाई देता हूं। आपके इस साहसिक कदम को देखकर लिखनतु डाॅ काम के सम्पादक महोदय को एक खत लिखने का विचार मन में आया है। क्योंकि आप यह तो जानते हैं हमारा गुङगांव शहर की सङकें हल्की सी बारिश में जलमग्न हो जाती हैं और इतना पानी भर जाता है कि पब्लिक और सरकारी अधिकारी उसमें नाव में सैर करने को बाध्य हो जाते हैं। कई बार तो यह खबर अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटौर चुकी है। आपका क्या ख्याल है सुझाव अवश्य दीजिएगा। मैं आपका सदैव ऋणी रहूंगा। आपका यह अनुपम प्रयास मेरे एक मार्गदर्शक। बना रहेगा।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत शुक्रिया यादव सर, आपकी प्रतिक्रियाएं मुझ तक निश्चित अंतराल पर पहुंच रही हैं और उनको देखकर बहुत ख़ुशी होती है, जब सन्दर्भ वृक्षारोपण का चल ही रहा है तो ऐसे में गंगा आप भी नाहा लीजिये हुज़ूर में जहाँ तक समझता हूँ आप आलरेडी पेड़ लगा रखे होंगे लेकिन जब गंगा स्नान बार बार किया जा सकता है तो एक बार और सही चलिए महोदय एक पेड़ और लगा लेते हैं

Arpita pandey said

आप का विचार बहुत अच्छा है कितनी सहजता से आपने वृक्षारोपण की प्रेरणा दी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपके इस अशीर्वाद रूपी प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभारी हूँ - आपसे गुजारिश करूँगा आप भी थोड़ा समय निकालकर एक पेड़ अवश्य ही लगाएं दुनिया जब लगाएगी तब लगाएगी हम आप और समझदार सज्जन लोग तो अभी संभल जाते हैं और लगा देते हैं आपका बहुत बहुत आभार

राजू वर्मा said

NYC

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you very much Raju Ji.. aapki pratikriya prerit kar rahi hai.

ताज मोहम्मद said

कहानी के रूप में आपने बहुत ही अच्छी शिक्षा एवम जानकारी दी, वो भी बड़े मजेदार तरीके से, आपको सलाम श्रीमान जी 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत शुक्रिया ताज साहब आप तक लेख पंहुचा मेरे लिए सौभाग्य की बात है उस पर आपकी प्रतिक्रिया का आना जैसे कुछ पुण्य अर्जित किया हो प्रणाम सादर अभिवादन

Bhushan Saahu said

Bahut ache se ek kahani ke maadhyam se sb bayan kr dia.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka Bahut Bahut Abhaar Saahu Sir, Yeh Kahani Kam Vastvikta Jyada Hai, yadi Majakiya Andaz Gabbar vagerah ko hata diya jaaye to sab kuch sach hai. M wastav m apne ghar ke aaspaas pipal ka ped lagana chahta hun par Society ke log hain NOC nahin de rahe.

फ़िज़ा said

Pipal ka ped na hua aafat hogayi, bhai aap kuch aur hi laga lijiye

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Pipal ka ped to apni jagah theek hai padosi aafat hogaye hain..aapki pratikriya ke liye shukriya.

Priyanka said

Padosiyon se sab pareshan hain India Pakistan se Pakistan India se china India se yeh sarvjanik samasya hai. Iska hal abhi tak nahi nikal paaya hai. Better kya hai tamasha na dekho na dikhao Jo aapne socha hai wese hi apne ped paudhey laga lijiye. Seema se thoda hatkar.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapki pratikriya apni jagah bilkul sahi hai lekin ek desh ek shahar ek gali/colony me aisa nahi hona chahiye halanki Maine aapki raay Maan li hai vraksh dusri side lagaaye hain. Aapki pratikriya aur salaah dono ke liye bahut bahut aabhaar 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

शानदार विश्लेषण ' पीपल का पेड़ ' अनुज अशोक श्री !! सच कहूँ तो मैं भी सहमत हूँ माताजी के अनमोल सुझावों से !! पीपल का पेड़ और बगुलों यानि कोकड़ा का बीट कहर मैंने भी खतरनाक ढंग से भोगा है !! एक बार कार के ऊपर कमाल की निशानेबाजी फिर श्रीमती जी का साड़ी शाॅप से आकर सारा गुस्सा मुझपे उतारने की मेहमानवाजी !! उसके बाद का मत ही पूछिये भाई साहब !! कार वाश क्लीनर ने हाथ खड़े कर दिये । दो घंटे के इन्तज़ार के बाद वह बला टली थी !! एक बार और..बोधिसत्व की तलाश में मैं भी गौतमबुद्ध की तरह अभी बैठा ही था कि ऐसी पिचकारी गिरी है कि क्या बताऊँ.. सिर का 95 प्रतिशत हिस्से पर कृपा बरसी थी !! धोने के बाद भी लगभग-लगभग महीने भर एक अजीब सा गंध मेरे नाक के आसपास ही भ्रमण कर रहा था !! तभी से मुझे एक आत्मबोध जरूर हुआ कि पीपल पेड़ के नीचे न गाड़ी रखिये और न ही अपना अमूल्य सर !! और आपकी लेखनी इतनी खूबसूरत..लग रहा था कि काश पढ़ता ही चला जाता मैं !! शुभाशीष नमन सुप्रभात भाई साहब 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Is lekh se jyada sundar aur srjnatmak to aapki pratikriya hai itni sundar pratikriya ke liye abhaar aapka ashirwad banaye rakhein pranam sweekar karein Acharya ji🙏🙏

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