वर्षा भिगो न दे पर परिंदे के।
हौसले बुलंद कर हर वंदे के।।
पैदा होते ही बट चुके इंसान।
आस्था पर वार न कर वंदे के।।
अजीब राजनीति चलने लगी।
हक मारना चाहते हर वंदे के।।
शांति को भंग कर न 'उपदेश'।
अम्न-ओ-अमान रहने दे वंदे के।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद