कविता : रिपोर्ट....
एक लड़की थाने में
रिपोर्ट लिखा रही है
एक लड़के को
कसूरवार दिखा रही है
लड़की : इंस्पेक्टर साहब
ये लड़का बहुत टेड़ा है
राह चलते हुए
इसने मुझ को छेड़ा है
इतना ही नहीं ये तो
काला घोर अंधेरा है
इसने तो मेरे प्राइवेट
पार्ट में भी हाथ फेरा है
लड़का : इंस्पेक्टर साहब ये न
समझो ये बड़ी दयालु है
ये लड़की तो बहुत खराब
एक नंबर की चालू है
बड़ी बेशर्म मेरे सामने इसने
सारा वस्त्र खोली है
अपने प्राइवेट पार्ट में भी खुद
हाथ फेरने बोली है
लड़की : ये बिल्कुल झूठ है
इसे कस्टडी में डाल दो
इंस्पेक्टर साहब इसका
कुछुंबर निकाल दो
आप के हाथों
मार बड़ी खाएगा
तभी जा कर ये
लाइन में आएगा
लड़का : वैसे ये पहले पहले
मेरे दिल में बसी है
अभी अभी ये लड़की
किसी और से फंसी है
अपना दिल दिमाग उसी
कमबख्त पर बसा रही
इसी लिए इंस्पेक्टर
साहब ये मुझे फंसा रही
वे दोनों की बातें सुन
इंस्पेक्टर का शीर भारी है
लड़का और लड़की से
अभी पूछताछ जारी है
लड़का और लड़की से
अभी पूछताछ जारी है.......