वो पूछती है हमसे की कैसे कर लेते हो तुम,
बस एक कागज़ कलम से पूरा गज़ल लिख लेते हो तुम,
अब हम उन्हें बताएं तो बताएं कैसे
कि ये उन्हीं के यादों की आमत है जो अक्सर तन्हाई में हमें सताती है,
रही बात ग़ज़ल की तो वो तो उन्हें ख्याल में लाते ही बन जाती है..।
--- कमलकांत घिरी ✍️