हम सब तो एक ही कटघरे में खड़े हैं
यक़ीन हो अगर खुद पर
तो अपने गुनाओं का,अपने सही-गलत का सबूत खुदा की अदालत में देना
और लेश मात्र भी शंका हो तो खुद को बदल लेना
क्योंकि क्या पता ?वहाँ सुधरने का मौका तो दूर पछतावे का मौका भी न मिले..
वन्दना सूद