जन्नत में मिलेंगे हम तुम फिर,
चलो अब अलविदा कहते हैं।
कैसी वफ़ा है कैसा है इश्क़ ये,
घुल गया जो हर तरफ़ फ़िज़ा में।
मन में है हलचल कुछ तो है उलझन,
छूट गया कुछ पीछे है यही तड़पन।
अगले जनम में मिलके ना बिछड़ेंगे,
चलो अब अलविदा कहते हैं।
कैसी ख़लिश है कैसी घुटन है,
सीने में रह रह जो चुभ रही है।
आँखें हुई नम फिर ये हुई बंद,
रूह निकलने लगी है तन से।
जन्नत में मिलेंगे हम तुम फिर,
चलो अब......
अगले जनम में मिलके ना बिछड़ेंगे,
चलो अब......
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




