दिल पर जो दस्तक देते थे
ऐसे अपने दोस्त हुआ करते थे
मित्र बोले किसी को कोई
तो वो मन के मीत बन जाया करते थे
साथी है यह मेरा कह दिया किसी को
तो समझ लेना कि साथ निभाना जानता है
सहभागी बनाया किसी को
तो वो उम्र भर सुख दुख बाटेगा
सखा बना कोई
तो कृष्ण सुदामा ही कहलाएगा
If someone calls you a friend
Then he doesn’t need to say I need you
आज की आधुनिकता में सब बदल गया
दोस्त,मित्र,साथी हो
या हो फिर सहभागी,सखा,friend
वक्त गुज़ारने के कुछ चंद शब्द बन गए
ज़िन्दगी के यह अनमोल मोती बारिश की बूँदों के जैसे हो गए
जो कुछ पल धरती को सौंधी महक देकर मिट्टी में कहीं खो जाते हैं
हमारी ज़िन्दगी के यह सब अहम हिस्सा हुआ करते थे
रिश्ते निभाना,सुख-दुख बाँटना,मनाना-रूठना,समझौते करना सब इन्हीं से सीखते थे
हमारे उम्र के हर पड़ाव की नींव को मज़बूत बना दिया करते थे
दोस्ती के मायने क्या बदले
आज हर रिश्ते के मायने बदल गए
आज हर रिश्ता कच्चे धागे का हो गया ..
वन्दना सूद