तुम अजीब ही रहते हो,
इतने कहां रहते हो,
पास ही दिल है,
धड़कन से बुला लो,
ये जुबां से क्या कहते हो,
बारिश में भी तो बूंदें कितनी है,
तुम मोहब्बती हो,
इसलिए आंखों में तरसते हुए,
आंखों से बरसते हो।
आज यह सीख लो,
तुम लिखो हम पढ़ते नहीं सुना करते हैं,
तुम बोलो हम सुनते नहीं पढ़ा करते हैं,
ये तुम सिखा रहे हो,
या हमारी नज़रों से जा रहे हो।।
मोहब्बत क्या है, क्या पता
लोगों के हाथों पता है उनका,
लेकिन उनके दिल कहां रहते हैं क्या पता।।
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




