घाव गहरे हैं मरहम रखो
रोक लो आंसू पलक नम रखो।।
दर्द अपने आप घटता जायेगा
मन में जरा भी अगर दम रखो ।।
सबके अलग सपने अलग नींद
और जरा देर आंख बंद रखो ।।
टूटकर कहां जुड़ता है दर्पन
पत्थरो से दूर हरदम रखो ।।
कटी पड़ी है खेत में फसल तो
बेहतर है बादलों की खबर रखो।।
जब हवाएं आंधिया बनने लगें
अपनी शमा को ढांक कर रखो।।
जिनके आने से चेहरा खिलता है
ऐसे यारों को मुकम्मल रखो।।
है अजब रीत दास जमाने की
खोलकर आंख जुबान बंद रखो।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




