कितना कठिन ये पल मेरा,
....कितना कठिन ये जीवन है,
कुछ कसक सी है इस जीवन में,
....कुछ अपनों के खोने का डर है,
इस दिल में थोड़ी जो यादें है,
....जिनको रोज संजोता रहता हूँ,
....जिनको रोज संजोता रहता हूँ,
कितना कठिन ये पल मेरा,
....कितना कठिन ये जीवन है(2),
वो लम्हे कभी जो बीते थे,
....उनको आज संभाले बैठा हूँ,
....जिनको रोज संजोता रहता हूँ,
....जिनको रोज संजोता रहता हूँ,
कभी फूलों की पुलवारी में,
....जो फूलों के गुलदस्ते थे,
अब ना वो पुलवारी है,
....बस यादों के गुलदस्ते हैं,
....बस यादों के गुलदस्ते हैं,
....जिनको रोज संजोता रहता हूँ,
....जिनको रोज संजोता रहता हूँ,
कितना कठिन ये पल मेरा,
....कितना कठिन ये जीवन है(2),
कवि राजू वर्मा
सर्वाधिकार अधीन है