अहिंसा परमोधर्म है, यही सत्य है सनातन।
जीव मात्र की रक्षा कर, यही धर्म है महान।
अहिंसा की भावना से, मन शुद्ध होता है।
जीव मात्र के प्रति प्रेम, हृदय में होता है।
कुछ भी कर लो तुम हम हथियार नहीं उठाएंगे।
अहिंसा के दम पर ही हरजंग जीत जाएंगे।
वक्त की करवट शौर्य वीर का खौला।
त्याग अहिंसा की भाषा वह हथियार उठाता है।
अहिंसा की शक्ति से, विश्व में शांति होगी।
जीव मात्र की रक्षा, हमारी जिम्मेदारी होगी।
सत्य अहिंसा परमोधर्मः गांधी जी सिखलाते थे।
सत्य अहिंसा की खातिर वो गोरों से पिट जाते थे।
आपदाओं अब हमको आकुल होना नहीं है।
बिपत्तियों अब हमको व्याकुल होना नहीं है।
बिकराल मुसीबत हो पर विजय सत्य की होती।
झूठ के पावं नहीं साँच को आँच नहीं होती।
गीता ज्ञान जब अधर्म अपना रूप विकराल करे।
शस्त्र उठा धर्म को अधर्म को कुचलना होगा।
प्यार ही प्यार धरा पर हो ऐसी मेरी चाहत है।
नफरत मिटे धरा से अब बस इतनी सी हसरत है।
स्वरचित
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार