मैं जानता हूँ और वो भी जानती।
रिश्ते का स्वभाव बखूबी पहचानती।।
नींद आने के लिए आँखें मूँद लेती।
ख्वाब भी बेचैन करते सुकून चाहती।।
मेरा भी हाल कुछ कुछ उसके जैसा।
मुलाकात हो करीब से देखना चाहती।।
बिना आवाज सुने करार आता नही।
खामोश होने से पहले गुफ़्तगू चाहती।।
मेरी इच्छा से मुझको रुखसत करना।
गोद 'उपदेश' की बाइज़्ज़त चाहती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद