सुना है मौत भी वही कही थी
एक नदी थी देव लोक से आई थी
कुछ अघोरी थे वहा मौत भी सोई थी
हर और पहरेदारी थी समझदारी थी
देवता थे देवतुल्य राजा थे, मौत भी
वही कही थी, दिखी किसे, मौत देखी
कभी किसी ने, उठी और कुछ जाने
ले गई, व्यवस्था देखती रह गई,
सबकी पोल खोल गई, कितना अभी
कमज़ोर है आदमी जाते जाते कह गई