ग्रंथ पढ़ पढ़कर मै पंडित बना
पुराण रट रटकर मै ज्ञानी बना
ग्रंथो में कहाँ भगवान ?
पुराणों में कहाँ प्रभु ?
यह तो जाल है जो तूने डाला
चतुर छूट गए अटक गया विरला
तूने जो ऐसे खींचा
संसार छूटा
भ्रम टुटा
हे भगवंत...
बीच चौराहे पे मै लुटा l
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️