अभी उन भोगों को तो भोग।
जिनसे लगा है तुझे यह रोग।
अभी तुझे मौत कैसे आ सकती है।
अभी तो जीने का हिसाब बाकी है।
छल कपट करके, तूने है हड़पे।
चला प्रशासन का डंडा, तू क्यूं डरपे,
कसम खा खा कर, तूने रोंदा ईमान को ।
कर रहा गायब,अपनी ही , पहचान को,
मिल रही है सरकार से मदद ।
मगर कर रहा दुष्प्रचार ,
नहीं मिलती है कोई मदद ।
यह भ्रष्टाचारी तो ,
बच्चों की फीस खा गया ।
भविष्य खा गया।
लिखा रसीदों पर नाम ,
उसे भी खा गया ।
सिर घुमा घुमा कर,
भूतों को बदनाम करता है।
खाते से उड़ाकर पैसा,
जेबें सरेआम भरता है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




