अभी उन भोगों को तो भोग।
जिनसे लगा है तुझे यह रोग।
अभी तुझे मौत कैसे आ सकती है।
अभी तो जीने का हिसाब बाकी है।
छल कपट करके, तूने है हड़पे।
चला प्रशासन का डंडा, तू क्यूं डरपे,
कसम खा खा कर, तूने रोंदा ईमान को ।
कर रहा गायब,अपनी ही , पहचान को,
मिल रही है सरकार से मदद ।
मगर कर रहा दुष्प्रचार ,
नहीं मिलती है कोई मदद ।
यह भ्रष्टाचारी तो ,
बच्चों की फीस खा गया ।
भविष्य खा गया।
लिखा रसीदों पर नाम ,
उसे भी खा गया ।
सिर घुमा घुमा कर,
भूतों को बदनाम करता है।
खाते से उड़ाकर पैसा,
जेबें सरेआम भरता है।