सब कुछ हमारे पास था जब कुछ नहीं था
हमदम तुम्हारा साथ था जब कुछ नहीं था
गांव में कच्चा था घर आँगन में पेड़ पे परिंदे
रोटियां छाछ तो साग था जब कुछ नहीं था
इक चटाई चारपाई कपडे किताबें लालटेन
माँबाप का सरपे हाथ था जब कुछ नहीं था
खुली हवा नर्म धूप मखमली चाँदनी तालाब
यारों का हर तरफ राज था जब कुछ नहीं था
स्कूल नहीं दूजा घर था खेलते कूदते पढ़ते थे
गुरूजी की मार में प्यार था जब कुछ नहीं था
अब दास दुनियां भर के चोंचलें और हैं दवाएं
दिल इतना नहीं बेकार था जब कुछ नहीं था