मधुर मनोरम मुस्कान है
गाल लाल-लाल लड्डू गोपाल है
मधुर तरंग ध्वनि बासुरी की
तन-मन-धन सब अर्पित तुम पर
अर्पित समर्पित पूरा संसार है
रंग-बिरंग फूल खिले बाग-बाग है
हार निहार चाँद को दिन-रात है
छम-छम छनकती पायल की छनकार है राधा-राधा रट रहे सब
शरारती मोहन-गोपाल है
- सुप्रिया साहू