कापीराइट गजल
रहम इतना तू मुझ पे, कर दे मौला
ये जिन्दगी सुकूं की बख्स दे मौला
मांगूं न कभी मैं किसी से कुछ भी
आरजू ये मेरी तू पूरी कर दे मौला
ये पाप और फरेब, छू न पाए मुझे
ये रहमोकरम मुझ पे कर दे मौला
यह औरों के दुख भी हो जाएं मेरे
सजा ऐसी कोई तू बख्स दे मौला
कभी, अपनों से दूर, होना न पड़े
ये ऐसी कोई दुआ बख्स दे मौला
तेरे होते हुए भी, दुखी है ये दुनियां
हर खता इनकी माफ कर दे मौला
जमाने में हर कोई खुश रहे यादव
खुशी ऐसी कोई अता कर दे मौला
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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