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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - जब एक सौ तीन बुखार हुआ

कापीराइट गजल

जब मच्छर ने काटा हमको तन अपना गमखार हुआ
ठण्ड लगी हमको ऐसी जब एक सौ तीन बुखार हुआ

जब छूटी कंपकंपी हमारी कांप उठा तन सर्दी में
ओढ़े तीन-तीन कम्बल जब सर्दी का प्रहार हुआ

एक नामी अस्पताल का नाम बहुत था चर्चा में
उसकी सेवाएं लेने का मन में नेक विचार हुआ

जब हम पहुंचे अस्पताल में भीड़ लगी थी भारी
पन्द्रह सौ अदा किए तब डाक्टर का दीदार हुआ

टेस्ट कई लिख डाले उसने लिख दी पर्चे पर गोली
तीन वक्त खाना एक गोली शुरू मेरा उपचार हुआ

डाक्टर बोले कल आना तुम लेकर टेस्ट रिपोर्ट अपनी
टेस्ट रिपोर्ट संग आने का उसके साथ करार हुआ

अगला दिन था शनिवार ये टेस्ट रिपोर्ट नहीं आई
अस्पताल की छुट्टी हो गई अगला दिन रविवार हुआ

उतरा नहीं बुखार मेरा डाक्टर की उस गोली से
यूं सोमवार को अस्पताल में जाने का विचार हुआ

सोचो तीन दिनों में अब क्या हाल हुआ होगा मेरा
हिल गए जोड़ मेरे सारे ये तन मेरा बेजार हुआ

टेस्ट कम्पनी और डाक्टर दोनों मालामाल हुए
टेस्ट और दवाओं में जब कमीशन ही आधार हुआ

आखिर में लोकल डाक्टर से हमने इलाज कराया
जैसे ही गटकी तीन डोज बुखार का बंटाधार हुआ

अच्छे ईलाज के चक्कर में ये जेब हो गई खाली
एक नामी अस्पताल में जब अपना उपचार हुआ

बड़े अस्पताल में यादव कब चैन मिला है रोगी को
लूट मचाई पब्लिक से अच्छा खासा व्यापार हुआ

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

वन्दना सूद said

वाह sir खूब कही 👏👏reality hai इससे मुँह नहीं मोड़ सकते हम सब ।जानते हुए भी इसी राह पर ही चलते हैं

Lekhram Yadav replied

वन्दना जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद सहित सादर नमस्कार।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Aaj ki swasthya sewa ki Katuta, par ucch shreni ki vyangaatmak ghazal, bahut hi kabile tarif Adarneey Sir ji, Saadar Pranam Sweekar karein 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय श्री अशोक कुमार पचौरी आर्द्र जी, आपका प्रणाम दिल से स्वीकार है, प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद।

कमलकांत घिरी said

वाह सर जी बहुत ही खूबसूरती से आपने अस्पताल की high figh सेवा पर व्यंग्य कसे हैं, बहुत सुंदर रचना सर जी👏👌🙏आशा है अभी आपकी तबीयत दुरुस्त होगी प्रणाम सर जी🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय कमलकांत भाई आपको सुप्रभात एवं धन्यवाद सहित सादर नमस्कार। मैं पिछले पांच दिनों से वायरल बुखार से पीड़ित रहा हूं, ईश्वर की कृपा से कल दोपहर से बुखार नहीं आया। मैंने बुखार के चलते हुए भी अपनी रचनाएं उसी तरह से पेश की जैसे कुछ हुआ ही नहीं और आपको इसका एहसास भी नहीं होने दिया, आपने मेरी रचना पर भी वैसे ही टिप्पणी की जैसे एक सामान्य व्यक्ति करता है। आप लोगों की सद भावनाओं से मैं अब बिल्कुल ठीक हो गया हूं, आप लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद।

कमलकांत घिरी said

आपके तबियत की खबर सुनकर थोड़ा विचलित हो गया हूं सर जी लेकिन इस बात की खुशी भी है कि अभी आपका स्वास्थ्य ठीक है🙏 अपने तबियत का ख्याल रखा कीजिए सर जी, 🙏 प्रणाम🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित सादर नमस्कार कमलकांत भाई, मैं अब बिल्कुल ठीक हूं, आप व्यर्थ चिन्ता करके विचलित न हों, बस अपने काम में मन लगाएं, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।

कमलकांत घिरी said

नमस्कार सर जी🙏, कैसे हैं आप! आपकी तबीयत ठीक तो है? बहुत दिनों से आपने लिखन्तु पर कोई रचना पेश नहीं की है तो हमें आपके स्वास्थ्य की चिंता होने लगी है, कृपया बताएं कि आपका तबियत कैसा है सर जी? प्रणाम, शुभरात्रि 🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार कमलकांत भाई, आप लोगों की दुआ से मैं अब ठीक हो गया हूं।

कमलकांत घिरी said

Hmm😊🙏

Lekhram Yadav replied

कमलकांत भाई देर से जबाव देने के लिए माफ कीजिएगा, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद।

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