अपने बालों की सफेदी देखकर,
इश्क मुहब्बत से बेफिक्र हो गया था मैं,
लेकिन बहुत अच्छा लगते हो आप, बोलकर,
नींद उड़ा दी किसी ने मेरी,
सोचा, इस उम्र में इश्क, मुहब्बत का चक्कर, ना बाबा, ना
फिर एक दिन मैसेज किया, उम्र की ढलान है, क्या दोस्त बनोगी, मेरी,
उत्तर मिला, दोसत बनुंगी, और पूरी शिद्दत से निभाऊंगी भी
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'