अब क्या उसकी हँसी बदली जाएगी।
अपनी कुव्वत से आई चली जाएगी।।
ज़माना रोकना चाहे ऐसी शख्सियत।
रुकेगी ही नही ऐसे ही चली जाएगी।।
जंग सियासत में कूद पडी जब से वो।
आँधी की तरह चलती चली जाएगी।।
उसके गुरूर में शराफत का नूर दिखा।
डूबी 'उपदेश' मे सियासत चली जाएगी।।
शिक्षा बखूबी हासिल करके आ धमकी।
तर्कसंगत बात करती करती चली जाएगी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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