हर गली नुकड़ या मोहले
आप जो चाहे कह ले
नशेडी मिल जाते है
मगर नशा बेचने वाले
नहीं मिलता है
हम वीरता के पुजारी है
हम चीरना चाहते है
दुश्मनों के सीने
मगर नशा बेचने वालों
को हम क्यों छोड़ देते है
चुनावी वादे
मंच से तीखें बोल
मिडिया के मीम
सब चलता है
मगर नहीं जानते
नशा बेचने वाला
कहाँ रहता है
कौन है वो
कैसा है वो
क़ानून कम जनता है
मिलता है नशा
मगर वो कहाँ मिलता है