शीर्षक: "प्रकृति का प्याला - शाकाहार"
लेखिका : देवांशी पटेल ✍🏻
हरियाली की थाली में छुपा है सुख-संदेश,
प्रकृति देती है अमृत, नहीं चाहिए लहू का प्रवेश।
फल-फूल, दालें, अनाजों का मेल,
स्वास्थ्य, करुणा और शांति का खेल।
जीवों के प्राणों से न रिश्ता जोड़े,
जो खुद जिए और औरों को भी जीने दे छोड़े।
बिना हिंसा के भी मिलती है ताकत,
शाकाहार है सच्ची मानवता की बात।
धरती मुस्काती है जब उसे ना दुखाते,
हर प्राणी में खुदा है, जब ये समझ पाते।
नदियों में बहती है करुणा की धारा,
शाकाहार से ही सुधरेगा कल हमारा।
संवेदनाओं का है ये सुंदर आहार,
प्रेम, दया और संयम का उपहार।
जिस थाली में खून न हो किसी का,
वो ही बने घर-घर की आशा।