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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हमसफ़र हम थे

इस सफ़र में हमसफ़र हम थे तेरे....
इस सफ़र में हमसफ़र हम थे तेरे,
फिर भी तूने तवज्जो हमे नहीं
किसी और को दी (2)
एक हम ही तो थे तेरे साथ में
फिर भी तेरी ये रातें किसी और की यादों में कटती थी।

इस सफ़र में हमसफ़र हम थे तेरे....
इस सफ़र में हमसफ़र हम थे तेरे,
फिर भी तेरी निगाहें किसी और के लिए तरसती थी (2) हमारे साथ रहते हुए भी तूने नज़र - अंदाज़ हमे किया
और तेरी नज़रें इंतज़ार किसी और का करती थी।

इस सफ़र में हमसफ़र हम थे तेरे....
इस सफ़र में हमसफ़र हम थे तेरे,
फिर भी तुम ख़ुद को अकेला समझते थे (2)
एक बार हमे भी महसूस किया होता
तुम्हारी इस तन्हाई में हम भी तुम्हारे साथ थे।

<रीना कुमारी प्रजापत>




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुन्दर लिखा रीना मेम, बहुत खूब @@@@

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

वन्दना सूद said

Touching lines 👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया वंदना जी

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