तेरा दिया हुआ गुलाब
किताबों में लिखूं या
डायरी में लिखूं
पहचान ना पाए कोई तुझे
मैं अपनी शायरी में लिखूं ।
लिखूं कुछ इस तरह
तेरे मेरे मुलाकात को
आता है हर बार जैसे
मेघा मिलने बरसात को
इस बेरुखी भरी दुनिया में
छिपा कर रखूं तुझे इस तरह
पन्नों में छिपाया था मैने
तेरा दिया हुआ गुलाब जिस तरह ।।
- तुलसी पटेल