अफसाना तेरे प्यार का
मेरे अक्स में आज भी
झलकता है।
तुझे पाने की चाहत
मेरे दिल में आज भी रहता है।
तू नूर हूर आफताब मेरी
तुझसे हीं मेरा प्यार
चमकता है।
तू आज़ भी मेरे दिल
रहता है।
तू मेरी मेहरम शबनम
तू मेरी छांव है।
आज भी मेरे दिल में
तेरे इश्क़ का गांव है।
कभी दर्द बढ़ जाए जीवन में
आग लग जाए कभी सावन में
कभी ठंडी में भी तन बदन जले
कभी नील गगन ना छांव मिले
दुःख दर्द से तेरा पांव जले
तू पलकों के तले मेरी आ जाना
इस दिल पे फिर से छा जाना
तू प्यार मेरा फ़िर पा जाना...
तू प्यार मेरा फ़िर पा जाना....