अपने हुआ करते थे कल तक।
गैर जैसे लगने लगे सुबह तक।।
एक रात के जादू ने रिश्ते बदले।
नजरअन्दाज कर रहे अब तक।।
दीवार उठ गई जाने अनजाने में।
ऐतबार गया 'उपदेश' शाम तक।।
हिम्मत का काम तमाम हो गया।
कायम रहेगा फ़ासला कल तक।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद