कापीराइट गजल
दिल के बिया बां में एक अफसाना है मोहब्बत
अगर कदर करे कोई एक नजराना है मोहब्बत
मैं चाहता हूं दिल से तुम्हें दीवानगी की हद तक
एक इबादत की तरह तुमसे यूं की है मोहब्बत
अब तू प्यार करे या ठुकराए मुझे तुम्हारी मर्जी
अगर ठुकराया इसे तूने तो फसाना है मोहब्बत
बहुत सोच समझ कर तुमसे प्यार किया है मैंने
गर तोङा दिल को तो दिल दुखाना है मोहब्बत
तुम भी अपना लोगे हमें ये उम्मीद है हम को
गर अपनाया न मुझे तो कहां पाना है मोहब्बत
तुम्हारी हां और ना में ही अटकी हैं ये सांसें मेरी
यादव संग रहोगे तो, जिंदगी पाना है मोहब्बत
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है