हरी-भरी धरती की पुकार,
सहेज लो जीवन का उपहार।
नीला गगन, नदी का किनारा,
ये सब हैं प्रकृति का सहारा।
पेड़ लगाओ, छाँव बढ़ाओ,
जीवन में मुस्कान सजाओ।
वृक्ष हैं आँगन की शान,
शुद्ध वायु का अमूल्य उपहार।
अगर इन्हें तुम काट दोगे,
जीवन से सुख दूर करोगे।
साँस भी लेना कठिन हो जाएगी,
धरती बंजर बन जाएगी।
नदियाँ बहें निर्मल कल-कल,
जीवनधारा रहे अविरल।
प्रदूषण से मत करो अपमान,
यही तो है धरती का प्राण।
पशु-पक्षी जब संग निभाएँ,
सृष्टि के रंग और खिल जाएँ।
पर्यावरण संरक्षण मानव धर्म,
यही है जीवन का सबसे बड़ा कर्म।
संरक्षण का लो अब संकल्प,
धरती माता का हो न ह्रास।
आओ मिलकर प्रण ये करें,
प्रकृति का सम्मान सदा धरे।
स्वच्छ धरा, हरित संसार,
यही हो आने वाली पीढ़ी का उपहार।
सहेज लो धरती की शान,
यही है मानवता का महान गान।
आओ मिलकर प्रण ये करें,
प्रकृति का सम्मान सदा धरे।
पर्यावरण संरक्षण का लो संकल्प,
धरती बनेगी सुंदर, अनुपम, दुर्लभ, महान।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




